MyPoem: Sapne, The dreams of a woman

1. बीते कल के सपने मेरे वो सपने जुड़े थे तुमसे, तुम्हीं से मेरा ह्रदय जुड़ा था  तुम्हें जो पाया मन उड़ चला था, तुम्हीं से मेरा हर आसरा था  पर तुम्हें था प्यारा यह जहां सारा, ना मिल सका मुझे तुमसे सहारा  मैं छुप गई फिर निज दाएरों में, और छोड़ बैठी सपने सजाना … Continue reading MyPoem: Sapne, The dreams of a woman