An Amazing Hindi Poem by Senior Poetess Manju Srivastava
वर्जीनिया, अमेरिका से कवयित्री मंजू श्रीवास्तव जी मूलतः देहरादून निवासी, एक क्लासिकल कत्थक डांसर हैं साथ ही साहित्य सेवारत भी हैं। वर्जीनिया में सीनियर सिटीजन सेन्टर में ऐच्छिक तौर पर कत्थक का प्रशिक्षण दे रही हैं। “अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच” की अध्यक्ष हैं… इनके चार सांझा संकलन – कविता, लघुकथा एवं कहमुकरी (विधा) के अतिशीघ्र प्रकाशित होने वाले हैं। इनके उत्कृष्ट कार्यों तथा साहित्य सेवा के लिये देश विदेश की कई संस्थाएँ इन्हें सम्मानित भी कर चुकी हैं। “हिंदी विश्व साहित्य सम्मान ” से सम्मानित हैं।

प्रलय घन (पर्यावरण)
आज प्रलय घन घिर आये हैं,
अम्बर के आँसू आये हैं।
गलियां सूनी, आँगन सूने,
कैसे ये दुर्दिन आये हैं।
खुशियों का दर्पण है दरका,
मौत के बादल मंडराये हैं।
वृद्ध -बाल सब सहमे सहमे,
मां की आंचल के साये हैं।
नदियां कल-कल स्वच्छ बह रही,
घाटों पर मातम छाये हैं।
सड़कें भी तन्हा तन्हा कुछ,
पथिक नहीं कोई आये हैं।
कहीं पिघलते ग्लेशियर हैं,
कहीं बाढ़ और सूखा।
कहीं सुनामी रौद्र रूप में,
कहीं है इंसा भूखा।
तरुवर हैं शृंगार धरा का,
उनके बिन धरती बंजर।
तभी रुग्णता और मृत्यु का,
चहुँ ओर ऐसा मंज़र।
भूल करी थी वृक्ष जो काटे,
शुद्ध वायु को हम तरसे हैं।
सड़कों पर कारें ही कारें,
पैदल ना घर से निकले हैं।
आसमान को भी ना छोड़ा,
वायुयान से जंग को जोड़ा।
पक्षी रोये, धरती रोई,
हमने अत्याचार ना छोड़ा।
नशा प्रगति का चढ़ा जो सिर पर,
उस गुरूर को थोड़ा छोड़ें।
अब भी आँख खुले औ जागें,
प्रकृति से कुछ नाता जोड़ें।
धरा भी अपनी, गगन भी अपना,
पशु पक्षी औ चमन भी अपना।
प्रकृति का सुख सब मिल कर भोगें,
धरा स्वर्ग सी सच हो सपना।
काश गगन से परी जो आये,
छड़ी घुमा मुस्कान खिलाये।
घुटती सांसों में गति आये,
जीवन पटरी पर फिर आये।
मंजु श्रीवास्तव वर्जीनिया, अमेरिका
Disclaimer:- इस वेबसाइट अथवा पत्रिका का उद्देश्य मनोरंजन के माध्यम से महिलाओं एवं लेखकों द्वारा लिखी रचनाओं को प्रोत्साहित करना है। यहाँ प्रस्तुत सभी रचनाएँ काल्पनिक हैं तथा किसी भी रचना का किसी भी व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि कोई रचना किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव, उसकी स्थिति या उसके मन के भाव से मेल खाती हो तो उसे सिर्फ एक सयोंग ही समझा जाए। इसके अतिरिक्त प्रत्येक पोस्ट में व्यक्त गए लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं, यह जरूरी नहीं की वे विचार pearlsofwords.com या E-Magazine हर स्त्री एक “प्रेरणा” की सोच अथवा विचारों को प्रतिबिंबित करते हों। किसिस भी त्रुटि अथवा चूक के लिए लेखक स्वयं जिम्मेदार है pearlsofwords.com या E-Magazine हर स्त्री एक “प्रेरणा”की इसमें कोई ज़िम्मेदारी नहीं है।


One Comment
sajida akram
बहुत सुन्दर रचना 👌👌 सच्चाई बयां करती है। शुक्रिया 🙏🙏🙏 आपकी रचना हम सबको सजग करेंगी।