
नए वर्ष का स्वागत

बिल्कुल वैसे नए वर्ष तुम आना,
जैसे घर में नवजात शिशु आता है,
साथ में ढेरो खुशियाँ लाता है़ं।
देखकर उसका सलोना मुखडा़
माँ सारी पीड़ा भूल जाती है।
तुम भी ऐसे ही आना,
बीते वर्ष की सारी कड़वी यादें भुला देना।
जनवरी को मुस्कुराहट से भर देना,
फरवरी में वसंत खिला देना,
मार्च को रंग-बिरंगे रंगो से रंग देना,
अप्रैल-मई की गर्मी की छुट्टियों में बचपन को महका देना,
जून-जुलाई में बारिश की बुंदो के घुघंरूओ की झंकार से
घर आंगन को गुंजा देना।
अगस्त-सितंबर तुम बनकर डाकिया,
पर्वो की बारात संग उमंग,
आनंद, उल्लास का संदेश लेकर आना।
अक्टुबर को दियों से जगमगा देना,
हर अंधेरे को उजाले से भर देना।
नंवबर तुम कुनकुनाती सर्दी के एहसास को लेकर आना।
प्रकृति की कृति को ठंडक से भर देना।
सांसो को शीत ठंडे मस्त महकते पवन से सुवासित कर देना।
सारा विषाद भुला देना।
पूरे वर्ष का लेखा जोखा लिए दिसंबर तुम फिर आना,
खुशियों का मुनाफाभारी रहा यह बतला देना।
कोविड जड़ से मिट गया है,कोरोना संकट टल गया है,
दुनिया फिर एक बार बेखौफ बन के दौड़ रही है,
चारों और खुशियाँ छा रही है,हर कानों में यह गुनगुना देना।
फिर तुम नए साल के आने कीखुशखबरी लाना।
दिसंबर-जनवरी तुमसे बहुत आशाएँ जुडी़ हैं।
बस तुम आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करते जाना।
जैसे उंगली पकड़ कर माता-पिता बच्चों को चलना सिखा देते है,
बढती उम्र के साथ उसे दुनिया से कदम मिलाना सीखा देते है,
देखकर उसकी कामयाबी फूले नहीं समाते है,
वैसे ही ए नये साल,
तुम भी सबके ईश्वर रूपी माता-पिता बनकर
इस सृष्टी के प्रत्येक प्राणी की झोली खुशियों से भर देना।
आओ पधारो ए नये साल,
तुम्हारे स्वागत में हम पलकें बिछाये बैठे हैंपर सुनो,
तुम मेहमान बनकर मत आना,
बिल्कुल उस नवजात शिशु सा घर का सदस्य बन कर
आनाढेर सारी खुशियों के साथ आना।