
राखी लेकर बहना आई —
ऋतु सावन मनभावन आई, शुभ पावन अवसर आया है।
शुचि मधुमय पूनम का यह दिन, राखी का उत्सव लाया है।।
घर आँगन की बगिया महकी, उपवन में चिड़ियाँ चहकी।
धानी चूनर ओढ़ धरा अब, मन खिला सुमन कलियाँ लहकी।।
अब बेला आई अलबेली, रस सकल सृष्टि बरसाया है।
शुचि मधुमय पूनम का यह दिन, राखी का उत्सव लाया है।।
मधु मोदक मिष्ठान सजाए, राखी लेकर बहना आई।
रोली, अक्षत लगा भाल पर, हृद बहना ने खुशी मनाई।।
रेशम डोरी बाँध कलाई, उर मंगल भगिनी गाया है।
शुचि मधुमय पूनम का यह दिन, राखी का उत्सव लाया है।।
यह भाई की खुशियाँ चाहें, धन-दौलत कामना न करती।
यश,बल,बढ़े दीर्घायु वीरा, बस यही भावना नित भरती ।।
सुरभित शोभित मधुबन सा मन, सुर रीति देख सरसाया है।
शुचि मधुमय पूनम का यह दिन, राखी का उत्सव लाया है।।

सीमा गर्ग मंजरी, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश
मेरा भाई
खुशनशीब बहन होती है, जिसके सिर हो भाई का साथ।
ईश्वर से विनती है इतनी, भाई तू रहना सदा मेरे साथ।।
शिव ने मेरा संसार सुंदर कर दिया। जब माँ ने तुझे मेरी गोद में रख दिया।
मुझको मिला एक प्यारा भाई। मेरे जीवन में खुशियाँ छाई।।
हर पल छेड़े, तकरार करे, तू सबसे ज्यादा मुझे प्यार करे।
साथ में खेले- साथ में खाये, साथ में बाँटा हमने प्यार।।
भाई – बहन का प्यार बढ़ाने, आया राखी का त्योहार।
तू हिम्मत है तू ही सहारा। तू मुझको है जान से प्यारा।।
महादेव से दुआ यही है, बना रहे हममें ये प्यार।
शिव- कृपा से बना रहे, हम सबका प्यारा परिवार।।
भाई तू खुश रहना सदा, रखना हरदम मेरा मान।
रिश्ते सदा बनाये रखना, देना सबको सदा सम्मान।।

संध्या मिश्रा “मयूरी”
इंडोरामा, महू, मध्य प्रदेश
‘मेरे भाई की कलाई’
आज रक्षाबंधन पर मन विचलित है,
हर बहन भाई के हाथ में राखी बांधती हैं।
रक्षा करने का वादा भाई करता हैं…
फिर क्यों होते है बलात्कार,
क्यूॅं नंगा घुमा या जाता है,
वो भी तो किसी की बहन है।।
क्यूॅं यह त्यौहार क्यूॅं यह दिखावा
बहन की रक्षा धागा बांधने से नहीं
वादा निभाने से होता है…
हर पुरूष में मैं ढुॅंढती हूॅं…
मेरे भाई की कलाई…
वो, जो वादा भी निभायें और रक्षा भी करे…
पर उसमें सिर्फ वासना दिखाई देती है…
मेरे भाई की कलाई…
आज रक्षाबंधन पर मन विचलित है…
आखिर कहां है… मेरे भाई की कलाई…
प्रमिला रंगारी
अध्यक्ष, जीवन ज्योत सामाजिक संस्था
वसई जि. पालघर (महाराष्ट्र)

रक्षाबंधन पर दोहे
पूनम सावन मास में, हो राखी त्यौहार।
प्रेम और अनुराग का, होता है आधार।।
राखी से हैं सजे हुए, देखो हाट बजार।
मन से मन को जोड़ता, यह पावन त्यौहार।।
लाई थाल सजा बहना, भैया तेरे द्वार।
राखी बाँध कलाई पर, लेती नज़र उतार।।
कच्चे धागे से बँधी , है रेशम की डोर।
प्रेम मिलन यह कह रहा, दोनों भाव -विभोर।।
भैया तू जुग-जुग जिये, बहन करे मनुहार।
करती तिलक ललाट पर, बहे नेह की धार।।
राखी के इस सूत्र में ,होता प्रेम अपार।
रक्षा तू करना सदा, यही वचन उपहार।।
रक्षा सबकी तू करना, भैया तू ले जान।
राखी की लाज रखना, इसमें तेरी शान।।
पावन राखी पर्व ये, जग में सबसे खास।
भाई-बहन के प्यार में ,होता है विश्वास।।
भैया तू रखना सदा, मात- पिता का ध्यान।
दुखी कभी करना नहीं, होते सम भगवान।।
बहना करती कामना, सुखी रहे परिवार।
जीवन भर खुशियाँ मिलें, बहना की मनुहार।।

मानसी मित्तल,
शिकारपुर, उत्तर प्रदेश
रक्षाबंधन
निस्वार्थ प्रेम के अनमोल रिश्ते
जिसमें प्रीत का उमड़ा संसार
सारे जहां में सबसे अनोखा,
होता भाई बहन का प्यार।
सावन की मस्त फुहार पर
मेघों की ढोल थाप बजती
दादुर मोर पपीहा के संग
हरी -हरी वसुंधरा भी मुस्काती।
धरती भी उजले चांद को
इंद्रधनुषी राखी पहनाती
अटूट प्रेम का भाव धागे में
राखी बहन भाई को बतलाती।
होती राखी कच्चे धागों की
पर एहसासों का वज़न रखा
बांध प्रेम से कलाई पर
हृदय कोश आशीष दे रहा।
शालिनी कौशिक लुधियाना ,पंजाब