
मोना चन्द्राकर मोनालिसा
रायपुर छत्तीसगढ़

माँ क्या है ? माँ एक शीतल छांव है । माँ नहीं होती तो हमें जन्म कौन देता । माँ ईश्वर का सबसे अद्भुत अप्रतिम सृजन है । माँ पहली गुरु होती है बच्चों की । माँ का स्थान तो ईश्वर से भी ऊपर होता है । माँ हम बच्चों के लिए सब कुछ करती है । चाहे कितनी भी तकलीफ में क्यूं ना हो, हम बच्चों के लिए हर काम करने को हमेशा तैयार रहती है । माँ भले ही कितनी भी डांटे लेकिन वो अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है । माँ हर किसी की जगह ले सकती है लेकिन माँ की जगह कोई भी नहीं ले सकता । चाहे वो ईश्वर ही क्यूं ना हो । धरती पर जन्म लेने के लिए ईश्वर को भी माँ की जरूरत पड़ती है ।
सबको लगता है कि ईश्वर आसमान में होतें हैं जबकि ईश्वर तो नीचे हमारे साथ होते हैं माँ के रूप में । माँ हमारे सुख दुःख की साथी होती है । माँ हमारी हर जरूरत को पहचान कर पूरी करती है । माँ ममता की खान होती है । माँ केवल हम बच्चों के लिए ही जीती है। कितनी ही रातें आंखों में गुजार देती है माँ। माँ का आदर सम्मान करो नहीं उनका अपमान करो।
कविता :- माँ का कर्ज़
माँ का क़र्ज़ कोई उतार नहीं सकता
वो फ़र्ज़ जिसे कोई निभा नहीं सकता
रातों को जागकर देखभाल करती है
मां हम पर सदा प्राण न्यौछावर करती है
अपना दुःख भूलकर हमारे साथ हंसती है
हमें डांटकर अकेले में खुद रोया करती है
माँ स्वयं ईश्वर का दूजा रूप कहलाती है
अपने बच्चों के लिए ही जीती मरती है