MyPoems: मेरा चांद
मेरा चांद अक्सर मेरी खिड़की से झांक कर, कुछ फुसफुसाता है मेरा चांद …. आधी अंधेरी रात से छुपता छुपाता, चांदनी मेरे मुख पर बिखर जाता है मेरा चांद…. मुझसे मेरी ही मुलाकात करा कर, अपने साथ खूब हंसता हंसाता है मेरा चांद…. मैं भी मायूसी में अमूमन मैं भी...
MyPoem: Sapne, The dreams of a woman
1. बीते कल के सपने मेरे वो सपने जुड़े थे तुमसे, तुम्हीं से मेरा ह्रदय जुड़ा था तुम्हें जो पाया मन उड़ चला था, तुम्हीं से मेरा हर आसरा था पर तुम्हें था प्यारा यह जहां सारा, ना मिल सका मुझे तुमसे सहारा मैं छुप गई फिर निज दाएरों...