Holi Festival Special in Hindi
होली में घर पर भी बनाइए मजेदार पकवान
रंगों से सराबोर होली के बारे में सोचते ही जहां एक ओर लाल-गुलाबी रंगों की महकती फुहार महसूस होने लगती है, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक पकवानों की खुशबू से मुंह में पानी आ जाता है। हमारा देश त्योहारों के साथ साथ जुड़े पकवानों की परंपरा से ओतप्रोत है। हर एक त्यौहार अपने साथ विभिन्न प्रांतों एवं समुदायों से जुड़े पकवानों की स्मृतियों मात्र ही से हमारी इंद्रियों को लालायित कर देते हैं….
और यही तो हमारे राष्ट्र की सबसे मजबूत कड़ी है कि हम भारत के किसी भी कोने में क्यों रहते हैं परंतु एक ही त्योहार को अपने ही अंदाज में कुछ इस तरह मनाते हैं की विभिन्नता में एकता की मिसाल हमेशा बनी रहती है। आज सब कुछ बाजारों में बहुत आसानी से उपलब्ध है यहां तक कि हमें हमारे घर में बैठे बिठाये सुंदर सजे धजे पैकेटों में एक से एक लजीज और शानदार पकवान प्राप्त हो जाते हैं… और तो और यदि हमें अपने रिश्तेदारों के घर भी मिठाई आदि भेजने तब भी केवल एक फोन कॉल की आवश्यकता रह गई है।
आजकल पारंपरिक पकवानों में कुछ आधुनिक वैरायटी भी देखने को मिलती है जैसे चॉकलेट का प्रयोग कर बच्चों के मन को भाने वाले कुछ पुराने पकवानों को नया रूप देने की अद्भुत कोशिश की जाती है।
परंतु फिर भी, कुछ ना कुछ तो होली पर घर पर भी बनाना चाहिए ना… शायद इसलिए कि हमारी शानदार मॉडलर किचन की चिमनी से जो धूंआ हमारे आंगन में निकल रहा है उसमें से रोजमर्रा के खाने से हटकर त्योहारों की खुशबू भी फैल पाए।
होली के त्यौहार पर बनने वाले कुछ पकवान
- गुजिया,
- इमरती,
- आलू की चाट
- नारियल के लड्डू,
- मावा के पेड़े,
- बेसन की बर्फी
- सदाबहार बेसन के लड्डू,
- बालूशाही,
- केसर मलाई के लड्डू
- चिवड़े की चटपटी नमकीन,
- नमक पारे,
- शक्करपारे
- मठरी,
- गुलाब जामुन,
- अखरोट की बर्फी
- आटे के लड्डू,
- शाही टोस्ट,
- दही सोंठ के बताशे
- दही भल्ले,
- कांजी के बड़े,
- पापड़ी चाट मटर के समोसे,
- ठंडाई,
- मिनट मिस्ट्री
होली का त्योहार आते ही बच्चों से लेकर बड़ों तक को गुझिया खाने का इंतजार रहता है। हर घर में पहले से ही गुझिया बनाने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। हमारी यादों में आज भी कहीं होली से कुछ सात आठ दिन पहले से मां की खनकती चोरियों के साथ गुजिया की तैयारी और खोलते हुए तेल से छनते हुए चिवड़े और मैदे की मठरी की सौंधी सी महक बसी हुई है। आज भी कहीं अनगिनत मिठाइयों के बीच मां के हाथ की एक आधा मिठाई याद आ ही जाती है। गुलाल से सने हाथों से दौड़ते हुए आकर नारियल का लड्डू उठाते हुए मां की डांट आज भी कानों में घुलती सी जाती है। यह अनुभव आज के बच्चे कैसे उठा पाएंगे, कैसे कोई मां अपने बच्चे को उस मिठाई को नष्ट करने से रोकेगी जिसे उसने स्वयं नहीं बनाया हो… कैसे आज कि युवा पीढ़ी अपने आनंद के ताने-बाने बुन पाएंगी।
जब सब कुछ खरीद कर ही लाया जाएगा तो त्योहारों में श्रद्धा और घरों में बरकत की कामना की वह भावना कैसे सत्य हो पाएगी।
जब घर की रसोई में पकवान बना करते हैं, जब पकवानों के पीछे उस मौसम और त्योहार की मंशा होती है, जब उस त्यौहार से जुड़ी कथाएं, उनसे जुड़े गीत, भजन और भावना उन पकवानों के साथ आहिस्ता आहिस्ता अपना रंग और महक छोड़ती हैं और फिर वही परंपरा और संस्कार का अद्भुत समावेश खाने वाले के मन में उतर जाता है, तब बनता है सही मायने में त्योहार और तब आती है घर परिवार में सुख समृद्धि और आशीर्वाद की बहार।
इन सब बातों को सोच कर इस होली आप भी बनाइए अपने रसोई घर में कुछ ना कुछ ख़ास।
बहुत ही खूबसूरती के साथ होली के त्योहार का सुंदर वर्णन 👍👍👏🏻👏🏻👌👌👌💐💐💐🌹🌹🌹