Sikh Role Models: Guru Arjan Dev Ji
वाहेगुरु जी का खालसा,
वाहेगुरु जी की फतेह।।
🌸सिखों के पांचवें गुरु, 🌸शहीदों के सरताज🌸✨धन धन श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज✨
जेठ माह के 24 वें दिन को गुरु जी के शहीदी दिवस के रूप में संपूर्ण जगत में मनाया जाता है।
यह महान दिवस समस्त सिख समुदाय और सिख धर्म के इतिहास को समझने वाले बुद्धिजीवी लोग बड़ी श्रद्धा भावना से धार्मिक स्थानों (गुरुद्वारा साहेब) पर गुरु जी को नमन करते हुए, उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा के साथ मानते हैं।
सदियों से यह एक प्रश्न की “धर्म” असल में है क्या?
क्या यह किसी एक कौम का नाम है?
हिंदू, मुसलिम, सिख या ईसाई में बटा हुआ है?
या फिर धर्म प्रेम, निष्ठा, दया, मानवता और संसार में विचरण करने के नियमों एवं आपसी सामंजस्य का नाम है।
इसी दुविधा के चलते आज से 400 वर्ष पूर्व मुगल सल्तनत के बादशाह जहांगीर के द्वारा किया गया यह एक प्रकरण जिसके अंतर्गत श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज को इसलिए गरम तवे पर बिठाकर गरम रेत से जलाकर तड़पाया गया कि वह इस बात को खुद भी माने और सभी को यह मानने के लिए प्रेरित करें की धर्म एक कौम के अधीन आता है।
जबकि श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज जो कि स्वयं गुरु नानक देव जी का अवतार हैं, अपनी इस बात पर स्थिर रहे कि, धर्म मानवता है, प्रेम है, ज्ञान है, समाज का आपसी सामंजस्य है और इससे कहीं ऊपर जो शायद में शब्दों में बयां नहीं कर सकती।
पर हाँ, यहां मैं अपने शब्दों के माध्यम से मुझ से जुड़े सभी लोगों के साथ जो कि सिख धर्म अथवा हमारे भारत के इस इतिहास से दूर हैं, उनको इस पावन दिवस पर उस महान शख्सियत को नमन करना चाहती हूं।
मैं आप सभी को गुरूजी के निर्मल आशीर्वाद से जीवन के दार्शनिक दृष्टिकोण से स्वयं के व्यक्तित्व को निखारने के लिए प्रेरित करना चाहती हूं।
उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि, “मैं (गुरूजी) आज यदी जल भी रहा हूं तो सिर्फ इस समाज में ज्ञान की ठंडक फैलाने के लिए।” उन्होंने
यही कारण है कि युगो युगो से आज के इस दिन को सिख कौम ठंडे मीठे पानी के प्रसाद को बांटकर मनाती है कि जब भी कोई महापुरुष जलता (शहीद होता) है तो समाज में शीतलता आती ही है।
मेरी ओर से आप सभी के लिए प्रसाद और छबील (ठंडे मीठे शरबत के प्याऊ) का दृश्य, श्री गुरु अर्जन देव जी के पावन दर्शन और बहुत सारे आपसी प्रेम के संदेश के साथ