MyPoems: अक्सर इक सवाल सा…….
अक्सर इक सवाल सा……. पूछा है जिंदगी से यह सवाल कई बार आखिर मुझे है किस बात का इंतजार जिंदा हूं मैं क्योंकि सांसे है बर्करार पर जज्बातों के भीतर घुटन क्यों है बेशुमार क्यों जिए जा रही हूं बेमक़सद दिन-रात गर नहीं है कोई मंजिल-2 तो क्यों खुश...
MyPoems: मेरा चांद
मेरा चांद अक्सर मेरी खिड़की से झांक कर, कुछ फुसफुसाता है मेरा चांद …. आधी अंधेरी रात से छुपता छुपाता, चांदनी मेरे मुख पर बिखर जाता है मेरा चांद…. मुझसे मेरी ही मुलाकात करा कर, अपने साथ खूब हंसता हंसाता है मेरा चांद…. मैं भी मायूसी में अमूमन मैं भी...
MyPoems: ख्वाब
हमने बनाया था ख्वाबों का गुलिस्तां, जहाँ जस्बातों की सतह पर प्यार के गुल खिले थे अपनेपन और इज़्ज़त के दरख्तों पर सुकून के रसीले फल लदे थे महक रहा था गुलज़ार अरमानों का मोहबतों के झूले बंधे थे उन झूलों पर झूलती मैं उन झूलों पर झूलती मैं,...
MyPoems: मरीचिका
मरीचिका •आसमां जितना भी दिखे, हाथों में समा सकता नहीं •आईने में अक्स: चाहे, मैं ही हूँ फिर भी छुआ जाता नहीं •ख्वाब जितने भी हों पलकों के खुलते ही, मिला करते नहीं •तमाम उर्म गुज़ार ली सीखने सिखाने में फिर भी यूं लगता है मानो अब भी कुछ...