Three Best Hindi Poems on womanhood & a Conversation: “Ghutan”
This post is written for a blophop #TheWomanThatIAm by ManasMukul & RashiRoy
आज मीनल की कविताओं का पोस्ट देखते ही नैना ने मीनल को विडियो कॉल किया। मीनल अभी दोपहर के खाने के सभी काम समेट कर शाम कि चाय का प्याला लेकर बैठी ही थी। नैना का कॉल देखते ही मुस्कुराते हुए कॉल उठाया और बोली: “हां जी मैडम कैसी हैं आप? “
(नैना और मीनल बचपन की सहेलियां हैं शादी के बाद नैना बेंगलुरु में और मीनल चंडीगढ़ में रहने लगे। दोनों सहेलियों में इतना प्रेम है कि वे अपने दिल की हर बात एक दूसरे के साथ निसंकोच बांट लिया करती हैं।)
नैना : अभी तुम्हारी कविता पढ़ी, बहुत खूब लिखा है यार। एक एक शब्द से दर्द का एहसास हो रहा है।
वैसे फिर कुछ हुआ है क्या?
मीनल: नहीं कुछ खास नहीं, बस अब थक चुकी हूं मैं अपना आप दे देकर, मानो हार सी गई हूं।
नैना : यह भी क्या अजीब प्रथा है समाज की वैसे, कि जहां एक तरफ लड़की कल तक अपने माता-पिता के घर में नज़ाकत से अपना जीवन व्यतीत कर रही होती है वहीं अचानक शादी होते ही सर से पाँव तक अनगिनत जिम्मेदारियों से घिर जाती है।
यह भी भला कोई बात हुई।
मीनल : जमाना चाहे कितना भी स्त्री और पुरुष की समानता के गीत गाता रहे, पर वास्तव में समाज इस बात को अब तक भी मन से स्वीकार नहीं कर सका है।
नैना: समाज की यही दोगली विचारधारा ही तो नारी के जीवन की सबसे बड़ी विडंबना है।
मीनल : पता है, पहले के दौर में महिलाएं इतना सब कैसे संभाल पाती थी? क्योंकि तब कम उम्र में ही विवाह हो जाया करते थे, तब औरत की अपनी स्वतंत्र सोच तैयार होने से पहले ही उसे गृहस्थी की पशंपेश में धकेल दिया जाता था।
नैना : हां यार, इसलिए ही वह जीवन के अंत तक परिवार द्वारा दी गई जीवन शैली को ही अपना अस्तित्व बनाकर जीती रहती थी।
पर आज, आज बात कुछ और है। नारी उच्च शिक्षित होकर अपनी पसंद और नापसंद के दायरों को तैयार करके पूर्णतया मानसिक तौर पर परिपक्व हो जाने के बाद ही विवाह करती है। ऐसे में उसकी सोच को किसी भी तरह से दबोच कर रख पाना असंभव है।
मीनल : हम अपने पैरों पर खड़े होना चाहती हैं, अपने निर्णय स्वयं लेने में स्वतंत्र है तो बात बात पर परमिशन माँगना अच्छा नहीं लगता।
नैना : अच्छा बोल ना क्या बात है, आज तेरा चेहरा भी उतरा हुआ है।
मीनल: कुछ नया हो तो बोलूं, वही यार नैना, मैं साल दर साल अपना समय बर्बाद होता महसूस कर रही हूं। जब तक चुपचाप सबके हिसाब से चलते रहो तब तक सब ठीक ही चलता रहता है।
मैं अपने दम पर कुछ काम करना चाहती हूं, नाम और पैसा कामना चाहती हूं। मुझे समझ नहीं आता इसमें बुराई क्या है? हैरानी की बात तो यह है कि यदि मैं कुछ नहीं करती तो, यह कह कर अपमानित करते हैं कि, “तुम्हारा मुझे क्या फायदा है, मैं ही दिन रात मेहनत करके तुमको पाल रहा हूं। या फिर अपने दोस्तों रिश्तेदारों की कामकाजी महिलाओं के उदाहरण दे दे कर शर्मिंदा करते रहते हैं। पर ज्यूं ही अपना काम करने कि बात रखो तभी, कभी जिम्मेदारियों के नाम पर तो कभी परिवार की ज़रूरतों की दुहाई देकर या तरह तरह के सामाजिक नियमों की बात करके चुप करवा दिया जाता है।
फिर भी अगर हिम्मत करके कोई कदम लेना चाहूं तो अंतिम हथियार के रूप में अपमान भरे शब्दों से मानसिक प्रताड़ना देने लगते हैं, और यही सबसे ज्यादा तकलीफ़ वाली चीज़ है।
नैना: हम्ममम…. पर ये दोहरा व्यवहार क्यों?
मीनल: क्योंकि मैं अपनी रुचि के अनुसार वह काम करना चाहती हूं जिससे मैं घर के सारे काम करने के बाद बचे समय का उपयोग कर सकूं। पर इसमें कमाई काम होगी और उनका मानना है कि छोटिमोटी राशि के लिए घर की नज़रअंदाज़ करने की कोई जरूरत नहीं।
नैना: सबसे अजीब तो यह ही है कि, अपने अंदर की insecurity को लोग अपशब्दों द्वारा क्यों जताते हैं। हमारे घर तो गली का प्रयोग भी बड़े आराम से किया जाता है। कभी कभी तो पलट कर वहीं शब्द बोलने का मन करता है, कि सुनो और सुन कर देखो कैसा महसूस होता है। मेरी भी तो ऐसी ही कहानी है और मैं तो अच्छी नौकरी भी करती हूं। पर मुझे यह सुनने को मिलता है कि मुझे मेरे पैसे का गुरूर है। या मैं घर के कामों में ध्यान नहीं देती। शब्दों के तीर सीधा मन को छलनी का देते हैं।
मीनल: ज्यादातर महिलाओं के साथ ऐसा होता है, हम कोई विशेष तो नहीं किसी के साथ कुछ तो किसी के साथ कुछ।
नैना: शारीरिक प्रताड़ना तो दिख जाती है पर इस मानसिक शोषण का क्या, जो हमें जीते जी ही मार देता है। अपनों के बीच में रहते हुए भी एक अनचाहा सा अकेलापन और ख़ालीपन सा महसूस होता है अपने ही परिवार में सोच सोच के बात करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
मीनल: बात केवल मात्र इतनी है कि, यूं तो हर किसी को ही अपनी जगह से अपनी जिम्मदारियों को पूरा करना होता है, और हम सभी अपने काम और उससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए भी हम तत पर भी हैं। पर अपनों से मिले प्रोत्साहन एवं सहानुभूति से हर काम आसान हो जाता है।जैसे भरी गर्मी में रसोई घर में घंटों लगा कर बनाए गए पकवानों को जब सब लोग शौक से खाते हुए कुछ तारीफ के जुमले बोल देते हैं, तो मानो सारी मेहनत सफल हो जाती है। वहीं यदि कोई खाना खाकर यह कह कर उठ जाए कि, “रोज-रोज बोलना क्या है, यह तो तुम्हारी ड्यूटी है”….
इस तरह के बोल हिम्मत ही तोड़ देते हैं।
नैना: ड्यूटी?? हा हा हा हा हा हा……..
विवाह के दौरान मैरिज रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ किसी बांड पर भी हस्ताक्षर करवाए थे क्या कि आज रानी महारानी बनकर फोटो खींचवाओ और कल से ही घर के सारे super woman की तरह संभाल लो।
(दोनों ज़ोर से हँसने लगी।)
नैना: अच्छा सुन, कभी सोशल मीडिया पर अपने बाकी सहेलियों की तस्वीरों को जरा ध्यान से देखना, उन चमकते चेहरों के भीतर का दर्द केवल वही जानता है जो उस दर्द को वास्तव में सह रहा होता है।
और ये भी जरूरी नहीं कि हर बार शारीरिक चोट का ही दर्द हो कभी-कभी अपनी इच्छाओं को मार मार कर जो घाव वह अपने भीतर बना चुकी होती हैं वह समय के साथ-साथ नासूर बनकर सताते हैं।
मीनल: कभी सोचा है महिला दिवस, मातृत्व दिवस, महिलाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण, सरकारी वाहनों में अलग से स्थान, विशेष पुलिस सहायता कार्यक्रम आदि की आवश्यकता भला क्यों है?
पुरष दिवस जैसा कुछ क्यों नहीं होता?
क्योंकि नारी की अध्य शक्ति के रूप में पूजा करने वाला यह समाज उसका अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ता और न ही किसी भी तरह से उसकी मर्जी से उसे जीने नहीं देना चाहता।
नैना: चलो! ज़रा यह सोच कर देखो कि मेकअप किट में कंसीलर की आवश्यकता क्यों होती है भला?
क्योंकि युवावस्था तक जो आंखें प्राकृतिक रूप से चमकती और बतियाती थीं, उन्हीं आंखों के चारों ओर आज जो तनाव और अनिद्रा से उभरे काले घेरे हैं, उन्हें तो कंसीलर ही तो छिपाएगा ना।
हा हा हा हा हा हा……..(दोनों सहेलियाँ व्यंग्यात्मक रूप से हंस पड़ी)
मीनल: मेकअप की आड़ में अपनी डेंटिंग पेंटिंग करके, महंगी साड़ी और कीमती गहनों से सजाकर घर की लक्ष्मी को फिर किसी समारोह की रौनक बनने को तैयार भी तो होना होता है।
हा हा हा हा हा हा……..(दोनों फिर एक बार खिलखिला कर हंस पड़ी और अपनी हंसी के माध्यम से एक-दूसरे को सहर्ष संघर्ष करने की प्रेरणा देती रही।)
ऐसा नहीं है कि जीवन में कोई सुखी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि हमारे दांपत्य जीवन में प्रेम नहीं है, पर सबसे बड़ी बात यह है कि प्रेम और भावनाओं की आड़ में हमारे स्वाभिमान का निरादर नहीं होना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति को अपने अनुसार जीने का पूर्ण अधिकार है और हर किसी को अपने लिए कुछ स्थान ज़रूर मिलना चाहिए।
हमें परिवार, रिश्ते नाते और यहां तक कि दोस्तों की भी आवश्यकता है ही, पर इसका मतलब यह तो नहीं कि हम अपनी निजी जिंदगी को पूरी तरह समर्पित करने के बावजूद भी अपमान के हक़दार हैं। और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि हम हर तरह से पुरुष के बराबर होने के बावजूद भी सामाजिक मापदंडों में पुरुष से कमतर मानी जाती हैं।
इन सब भेदभाव और दुनिया भर के उतार-चढ़ाव के बावजूद अगर कोई चीज है जिसके दम पर महिलाएं हर कष्ट सहने के बावजूद मुस्कुरा कर फिर हर खुशी का अभिनंदन करती हैं वह है उनका अपना आत्म बल, स्वाभिमान और आत्मविश्वास। इस बात को मैंने अपनी कुछ पंक्तियों द्वारा सजाने की कोशिश की है,
3. तुम बिन* मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन हां जी नहीं पाऊंगी तुम बिन। चाहे रिश्ते हजार मिल जाए, पर साथ ना कोई भी तुम बिन, चाहे नाम अनेकों पड़ जाऐं, पहचान नहीं मेरी तुम बिन, चाहे काम पहाड़ से बढ़ जाऐं, पर शक्ति नहीं होती तुम बिन, चाहे वक्त बहुत कम रह जाए, पर मूल्य नहीं मेरा तुम बिन।। यह तय है, मेरा अनुभव है, मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन... तुम! कौन हो तुम ? तुम मेरी हस्ती का कारण हो, तुम मेरा स्वाभिमान भी हो। तुम मेरे अंदर दहक रही, प्रकाश पुंज की ज्वाला हो। मैं नारी हूं और और शक्ति भी, तुम मेरा आत्म संभल हो.. तुम मेरा संयम कोष भी हो, और ममता की नौ निधि धारा भी.. तभी.... चाहे कोई साथ ना रह पाए, पर साथ मेरे तुम हो हर क्षण। चाहे युद्ध अनेक हों जीवन में, पर स्नेह तुम्हीं से है हर क्षण। चाहे कोई पुकार न सुन पाए, तुम सुनते रहते हो हर क्षण। चाहे मन न कहीं भी बहल पाए, दिल को समझाते तुम हर क्षण। तो ये तय है, मैंने देखा है, मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन मैं जी नहीं पाऊंगी तुम बिन...
Well written. I think we need to be more independent as a woman. We need to stop depending upon the males in our family, then only we will progress.
Thanks dear 😊
I was totally blown off reading your post. You’ve written not one but 3 poems and all of them touched my heart. Tum bin had me in tears. The conversation between friends was an amazing way to highlight the problem many of us face daily. Loved your post.
Deepika Sharma
Thank you so much dear… Your words means a lot to me.
Brilliantly penned. The poems and the conversations.. goes straight to your heart. Beautiful.
Thanks a lot 🙏
Wow!! Such a honest post. You have written a poem, a dialog sequence and a song all in one. I loved your poem. Being a mother is indeed difficult but I feel being a mother is the best gift universe has given a woman. To be able to create a life and then be such an integral part of it is a blessing only given to us women.
Loved your all poems. Such a deep and detailed piece it was. Touched my heart. More power to you.
Ramandeep
Minal Ur naina की बातों में लगा रमन और हर्षिता की बात चीत पन्नों पर उतार दी ।
बेहद करीब से जान पाती हूं रमन
हम बहने तो नहीं पर बहुत एहसास जगा देती है
हमारी खामोशियों में खुद को हूं पहचान देती है
बहुत मुश्किल होता है ख़ुद को तराशना
हमेशा साथ ही मै तुम्हारे खुश रहो
कड़वी सच्चाई दुनियां की बातों को तावजुव ना देना हो सके तो ख़ुद को ख़ुद ने पूरा मान लेना
अकेला ना समझ कर ख़ुद को मुझ पर याकि कर लेना।
खुश रहो
My dear Harshita Di,
आपके स्नेह और सहारे के कारण ही मैं पुनः खड़ी हो पई हूं। इस पोस्ट के माध्यम से मैंने ये ही दर्शाने की कोशिश कि है कि माना कष्ट बहुत हैं जीवन में पर सखियों का साथ संघर्ष के कठिन समय को भी आसान बना देता है।
ईश्वर आपको बहुत सी खुशियां दें। 😘
Raman my soul sister
Duniya chahe kuch bhi kahe
Duniya chahe kuch bhi samhje
Bas ye yaad rakhna
Hum kisi se kam nahi
Bas ye yaki age badne me madad karega ga
Di wishes and love always with you ❤️❤️
Hi Raman
Reading you for the first time through Bloghop
I must say you have written a wonderful post, though it was lengthy I enjoyed reading it.
I usually dont share blog posts in my friend’s circle, but this post is surely being shared.
Thank you for writing this.
सच कहा है माँ होना आसान नहीं है
अपनी इच्छा के आगे बच्चो और परिवार को रखना आसान नहींहै
बिना किसी आशा या तारीफ की उम्मीद के बस अपनी जिम्मेदारी निभाना सच में आसान नहीं है
कर रही हूं हद से बढ़ कर मूल्य जिसका कुछ नहीं, मूल्य क्या कोई भरेगा जो भी है अनमोल है…
फिर भी लोगों की नजर में ग्रहणी घर की धूल है, फिर भी लोगों की नजर में ग्रहणी घर की धूल है….
इन पंक्तियों ने मेरे आँखों में सच में आँसू ला दिए, बहुत ही दर्द से भरी हुयी कविता है.
मीनल नैना की दोस्ती और बाते और तुम बिन कविता भी बहुत ही खूब है. जितनी तारीफ़ करे उतनी काम है
Wow! Kya likha hai. Har ek word bahut sare sawal karta hai jiska jawab saalo se nahi Mila hai. Aaj tak ka padha hua sabse behatarin post. Baato baato main aap jo Kah Gaye ho, aaj ki aurato ka dard bayan karta hai.
Beautiful words and lovely writeup! A mother’s never-ending and ever-evolving role is exquisitely presented through the poem. And a woman’s plight engagingly portrayed through the conversational setup.
This is a powerful post that shows the double standards and hypocrisy of this society. The translator worked great in translating your lines into emotional, meaningful sentences in English. I love the initial poem.
Your Poem was fabulous and the video call was just like it was happening in front of me. Loved your post. Keep writing more and more 🙂
Good luck.
— rightpurchasing.com
Raman, I am already aware of your powerful write-ups. Straight through heart. Your poems are the mirror of today’s society. The conversation two friends share is well written 👍
I felt I was part of this post in many ways. Beautifully written and with so many relevant questions which need an answer.
Beautifully penned poems and conversation, Ramandeep. This is the hypocrisy women face. They are often berated for being stay-at-home moms, but questioned for attempting to follow their dreams. Not sure if this mentality will ever change.
Women are doomed by the choices they make! Damned if you do and damned if you don’t! This vidambana (could not find an equivalent word for it in english) has come out so well in your post.
Meena from balconysunrise.wordpress.com
What a honest view of the position of women in the society the poems and the video call is so realistic. Admavishvaas tho aurath ko ronae kae bath hasnae ki housla deti hey 🙂
Beautifully written . The conversation between two friends and the deep heart feelings well expressed in poetic form.
Simply wow!! Such a beautiful post from beginning till end..Loved the way you write it..It very honestly and in certain places humorously talked about what women face..Best wishes for your future writing..
Google translate did not work on this website so I have missed a beautiful poem/s. Wish you all the best.
Ohh ho!!
I am really sorry to know that…
Hii Raman
पढ़ते-पढ़ते ऐसे लग रहा था जैसे कोई मुझसे ही बात कर रहा है।सच में समाज की दोहरी मानसिकता देख कर मन दुखी हो जाता है।
Hello Sangya di,
Appke anmol wicharon k liye bahut bahut shukriya ji…
Wow such a beautifully penned poetry and dialogue. Women play her all the roles so beautifully clearing all the difficulties in her life. Heartfelt poems, lovely !!!
Thanks a lot Jyoti ji…
stay blessed
What a beautiful and honest post. The poetry and the dialogue between friends conveys a lot. It is the truth that we talk of equality but we are far away from that still. Hope we can bring about a change.
Heartiest gratitude Arushi ji…
Congratulations for writing such a meaningful post. The conversation between friends was so true , the Crux of all the crimes we woman face, the hypocrisy of the society. The poems were beautiful too. Sorry, should have replied you in Hindi but not so fluent anymore
Thank u so much dear Ruchi…
English hindi is not an issue…
The main thing is your precious time and attention which you have devoted to read and understand the actual feel of the words in the post…
Thanks a lot
best wishes to u
So well expressed, liked the way you blended poetry and dialogue to form a complete narrative, I usually don’t have much to say about posts about mothers, so that is all I can say.
Thank u Pooja ji… u touched my heart
stay blessed
Beautiful write-up ! A mother’s role is glorified to the extent that she can never be truthful if she is feeling low. Women are living up to hypocrisy each day. Well-penned!
True, Thanks a lot for your reaction.
your words keep me alive…
A longish post yet every word carries so much weight. And reading it in Hindi added to it’s beauty. Somehow regional language can stir emotions in a way English can’t. That my feeling.
Heartiest gratitude Janaki ji, your words is a source of encouragement to me….
lots of love and best wishes for you….
Beautifully penned down the pain of a homemaker when all her efforts and sacrifices go unnoticed by her own partner, conversation style that you portrayed between two friends Naina and Meenal with the mix of pain and laughter, so real, your writing style is so unique with the mix of three different poems in the queue, I so loved it…..!
Archana Srivastava
Thank you so much dear Archana ji….
I am overwhelmed to see your reaction on my post…
stay blessed
This is just so real and heart warming….bohot hi khoobsurat…more power to you!
Bahut bahut shukriya dear Deepti ji….
affections to you too
Behat umda post Raman, dil ke haar taar ko cheda. Bohat man se likha hai aapne aur hum sab tak apni baat pahuchayi jo ki ye blog padhne wali har womaniya sarahegi. Apni choices aur decisions se lekar apni chahto tak ka safar sab utar diya aapne is post mein, wonderful!
Thanks my dear Priyanka, you are an inspiration to me…
your comment means a lot to me plz keep in touch & guide me accordingly…
All the poems are profound and thought provoking. Beautifully written. There is a lot of depth in your words. More power to you and your words!
Bag full of gratitude to you Purba ji…
You comment is the source of energy to me….Thank u very much…
Very nice poetries. I loved all of them. Harsh and true realities of a woman’s life depicted in such free flowing words.
Heartiest gratitude for your support and encouragement…
Loved the write up. I always feel that economic independence can truly liberate a woman.
yes sir, this is the only thing which suppress the power of woman….
Thanks a lot for your supportive comment…
Wow, you have written three beautiful poems and I loved it. you giving a true reflection of our society through by your panned.keep writing dear more and more.
Thanks a lot for your encouragement… I am touched with your comment…
Beautiful, heartfelt poem from a beautiful woman! Love you! Keep at it! You have a long way to go! 😘
Your words means a lot to me,
thank u thank u so much for encouragement…
Don’t lower your standards for anyone or anything! Self respect is everything! Great that you brought it out via the story and the poem!
I am overwhelmed to know that you like my presentation. Thanks a lot.
You have beautifully portrayed how hypocrite our society is. Loved the lines you have penned down.
Thanks dear Debidutta.
This is a complete package of prose, poetry and reality. The poems are woven beautifully especially the tum bin poem is very heart touching.
I enjoy reading through a post that can make people think.
Also, many thanks for permitting me to comment!
Your poetry is very heart-touching and thought-provoking and sheds light on many important issues. More power to you!
A great post, a great story, a great poem!! you expressed it beautifully!!!! loved it
So very well penned. Mothers are like that, sacrificing and loving. – Yatindra Tawde
Being a mom and fulfilling the role of a mom is indeed difficult. Totally agree which you. Our mothers made it look easy but my journey seems to be littered with pebbles and stones. Loved your poems and dialogue. Beautiful post
I am short of words and expressions. I am so inspired by your post. A simple conversation between two women can be so overwhelming and eye opener. Sometimes all we need is just a friend who can listen.
Hi! I realize this is somewhat off-topic however I needed to ask.
Does building a well-established website like yours require a lot of work?
I’m completely new to writing a blog but I do write in my diary everyday.
I’d like to start a blog so I can easily share my own experience and views online.
Please let me know if you have any kind of ideas
or tips for brand new aspiring blog owners. Thankyou!
Thanks , I have recently been searching for information about this topic for a long time and yours is the greatest I’ve came upon so far.
But, what in regards to the bottom line?
Are you sure concerning the supply?
wah.. jitni tareef karu kam hai es post ki. sachchai ko shabho me vykt kar dia ki sab hi sochne par mazboor ho jae. Dono hi kavitae bahot hi khood hai aur baad ki kahani bhi.
This post was a really creative way to spread a truly important message of female empowerment. Your use of complex expressions and vernacular writing skills are very impressive.
Love the format of poetry and dialogues. Beautiful thought and words.
Poems are undoubtedly heatfelt, my favorite part is the open, non judgemental conversation between two friends… Sometimes that’s what is required to feel fresh again.
This reminds of this song,
Nàari ka samman Kari,
Math uska apnaan karo
Well this happens everywhere
Does it mean to say, we accept the insults thriught words and gestures
We don’t, it’s our nature to forgive which pushes us beyond the bondary and run the show.
Your words are deep and true..
Thanks
I would like to say that no matter how small any work or the pay you get for it, it is earning and must be respected. Anything that gives you that joy is worth it.
You’ve a beautiful way of expression. Enjoyed reading this.
Loved your story… conversations between two friends is so us… beautiful post!
bhut khoobsurat kavita hai , love your write up
Such a beautiful post. Expressing every relationship in life especially motherhood. I think all the glorification is just so that in the name of sacrifice we can just exploit a woman even more. Why do we fail to understand that even mothers can have their own life.
Every poem of yours is so heart touching. I loved reading this post.
This is so heart touching. Yes, we keep talking about equality but we have a long way ahead. You have written this so beautifully!
The poem, the conversation are so real and have been put across in a fine manner. It touches us emotionally and also gives rise to a rebellious nature at the same time. Why must women go through all this?
Hey Raman, reading you for the first time and I must say you have a very creative and imaginative writing skill. Loved the way you expressed your feelings through the poem and dialogues between friends. Keep writing always. Glad that you are a part of this blog hop 🙂
Amazing write up Ramandeep ji. Please dont give up. this is really good hindi writing. All the poems and the exchange between Meenal and Naina are superb. Thanks for joining the hop and gracing us with this lovely piece.
#RRxMM #TheWomanThatIAm
Heartfelt poems and the conversation between friends, we tend to lose ourselves in living for others, but some me time is extremely important.
Beautiful article and so apt with the present day. Poems were marvellous
The title picture is awesome. Loved the narration and all the 3 poems. Very well written Ramandeep !
wow i love this post
There are some interesting points in time in this clause but I dont know if I see all of them center to eye . There is some validity but I will take hold legal opinion until I look into it further. Good article , thanks and we want more! Added to FeedBurner as well.
Well-written post!
I enjoyed reading this post. This post touched my heart deeply as it is not easy to play the role of mother or wife. I totally agree with the thoughts of this poem.