Best Hindi Poems with Feel: Aaks-The Reflection
Posted On April 1, 2021
A- अक्स
क्यों इतना मजबूर मेरा वजूद नज़र आता है,
उलझा उलझा बड़ा फ़िजूल नज़र आता है..
अपनी आंखों के बिखरते सपनों का,
कतरा कतरा ज़हर सा नज़र आता है..
हम ढूंढते रहे जिन गलियों में खुद की परछाई,
उन गलियों में अंधेरा ही नज़र आता है..
वो ख्वाहिशें जो उड़ती रही मेरे नभ पर,
आज सिमटी सी बेजान नज़र आतीं हैं..
वक्त का खेल भी निराला है,
कभी खुशी कभी गम का सिलसिला पुराना है..
डर लगता है तन्हाईयों की गहराइयों से,
कहीं गुमशुदा सा मेरा अक्स नज़र आता है…
कहीं गुमशुदा सा मेरा अक्स नज़र आता है।।
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