A Best Hindi Short Story by Damini Singh Thakur

दामिनी सिंह ठाकुर

इंदौर, मध्य प्रदेश

कम शब्दों में बहुत बड़ा मैसेज है यह कहानी। नारीवाद के इस अभियान में इस तरह की कहानियों की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। रोजमर्रा की जिंदगी से मेल खाती हुई और लगभग सभी के साथ समावेश बनाती हुई कहानी है यह। हमारे समाज में चाहे जितनी भी जागरूकता अभियान चल जाए लेकिन फिर भी अंततः औरत के काम की कोई खास वैल्यू नहीं दी जाती। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए बड़ी सुंदरता से शब्दों को पिरो कर वास्तविक जीवन से जोड़ने का अथक प्रयास करते हुए दामिनी जी ने यह सुंदर लेख तैयार किया है तो प्रस्तुत है

लघु कथा: कर्ज़दार हूँ मैं

आज राधिका कुछ थकी थकी सी लग रही थी, काम भी अनमने ढंग से कर रही थी, ये सब पति किशन गौर कर रहे थे।

ऑफिस जाते हुए उन्होंने पूछा भी था, क्या हुआ राधा तबियत तो ठीक है न? काफी थकी सी लग रही हो?

राधिका ने बिना कुछ बोले एक फीकी मुस्कान के साथ हाँ में सिर हिला दिया l किशन ने भी एक स्माइल दिया और ऑफिस चला गयाl राधिका भी घर के काम में व्यस्त हो गयीl

सारा काम निपटा कर सोचा थोड़ा आराम कर लूँl लेटते ही राधा को नींद आ गयीl

अरे बेटा आप, मम्मा कहाँ है, किशन ने हैरानी से पूछा!

मम्मा सो रही है वृंदा ने जवाब दिया।

वृंदा राधिका और किशन की एकलौती बेटी थी दोनों ही जान छिड़कते थे।

राधा अभी तक सो रही है, ऐसा बड़बड़ाते हुए किशन सीधा अपने कमरे में गया, राधा को सोता हुआ देख चिंता कि लकीरें किशन के माथे पे उभर आयी l क्या हुआ राधा, पूछते हुए पास जाकर देखा तो राधिका बुखार से तप रही थीl

अरे राधा तुम्हें तो बुखार है, तुमने मुझे बताया क्यों नहीं? किशन ने तुरंत डॉक्टर को फ़ोन किया, डॉक्टर ने दस मिनट में आने को कहा, तब तक किशन, राधिका के माथे पे ठंढे पानी की पट्टियाँ रखने लगाl राधा तुम अपना बिलकुल ख़याल नहीं रखती हो उसके माथे को चूमते हुए प्यार भरी शिकायत की! राधिका के आँखों से आंसुओं की बुँदे लुढ़क कर तकिये पे जा गिरी। इतने में डॉक्टर भी आ गयेl उन्होंने राधिका को देखा और कुछ दवाइयाँ दी और कहा घबराने की कोई बात नहीं है दो तीन दिन में ठीक हो जाएंगी l किशन डॉक्टर को गेट तक छोड़ कर आया और बेटी को आवाज़ लगाई बेटी भी रुआंसी सी पापा से लिपट गयी, क्या हो गया मम्मा को? ऐसा पूछते ही बिटिया रोने लगी।

किशन ने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए कहा, बेटा मम्मा को बुखार है, और जल्दी ही ठीक हो जाएंगी। चलो जल्दी से हम दोनों चाय बनाते है मम्मा को दवाई जो देनी है।

दोनों चाय और नास्ते के साथ राधिका के पास आ गये, राधिका भी ये सब देख कर भावुक हो गयी, वृंदा और किशन को अश्रु भरी आँखों से देखने लगी l किशन और वृंदा दोनों ही राधिका से लिपट गए, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, इतना कहकर राधिका को दवाई देकर सुला दिया।

किशन राधा के माथे को तब तक सहलाता रहा जब तक वो सो नहीं गयीl इधर किशन ने घर के काम के लिए एक कामवाली को रखा और खुद की भी एक हफ्ते की छुट्टी ले लीl इस एक हफ्ते में किशन ने राधिका की पूरी सेवा की और वृंदा ने भी पूरा घर संभालाl

अब राधिका लगभग पूरी तरह ठीक हो चुकी थी और राधिका के कहने पर ही किशन ने कामवाली को पैसे देकर कल से न आने को कहा, तभी वृंदा ने कहा और मेरी पगार मैंने भी तो एक हफ्ते इतना काम किया मुझे भी तो पगार मिलना चाहिए, इतना कहकर हंसने लगी….

अरे पापा! आप तो घबरा गए मैं तो मजाक कर रही थी, और हंसते हुए अपने कमरे में चली गयी…

और छोड़ गयी अपने पापा के मन में एक अजीब सा विचार, एक सवाल! कुछ सोचते हुए किशन कमरे में आया और राधिका को अपलक निहारता रहा…

राधिका ने प्रश्न किया क्या हुआ किशन ऐसे क्यूँ देख रहे हो l किशन राधिका के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा राधा तुम इस घर की नींव हो, आज जब कामवाली ने एक हफ्ते काम किया तो पगार लेकर गयी, और मजाक में ही सही वृंदा ने भी कहा मुझे भी पगार चाहिए, और तुम जो 15 साल से मेरा घर संभाल रही हो, हम सबकी सेवा कर रही हो, कभी कोई तकलीफ़ हुई तो उफ़ तक नहीं किया, कभी कुछ नहीं माँगा, कभी कोई शिकायत नहीं की, तो इस हिसाब से तुम्हारा मुझ पर बहुत सारा क़र्ज़ है, मैं कर्ज़दार हूँ तुम्हारा, कैसे चुकाऊँगा मैं ये क़र्ज़ l

दोनों की आँखे आंसुओ से भरी हुई थी, दोनों एक दूजे को निहारे जा रहे थेl रधिका इतना ही कह पायी, बस एक मुस्कान से राधिका किशन की बांहो में समा गयी।

Editorial Team (Prerna ki Awaaz)

Hello Everyone, Thank you for being with Digital Magazine "Prerna ki Awaaz"... (An inspirational bilingual magazine for the unique journey of life of self-reliant & liberated world...) आत्मनिर्भर और मुक्त विश्व की अनूठी जीवन यात्रा के लिए एक प्रेरणादायक द्विभाषी पत्रिका... "प्रेरणा की आवाज़" के साथ बने रहने के लिए आपका हार्दिक आभार...

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