Hindi Story: Humsafar for #StorytellersBlogHop
This post is written for #StorytellersBlogHop FEB 2021 hosted by Ujjwal Mishra & MeenalSonal.
मुझे हर बार ऐसा लगता है कि “चाहत” को किसी भी दायरे में बाँधा नहीं जा सकता और ये चाहत का अनूठा भाव जीवन में अनगिनत बार अपना रंग जमाता है। यहां तक कि जब मन को कोई भा जाए तो आस पास की सभी अड़चनें बेमानी हो जाती हैं।
दुनियाँ में जितने भी कारणों से इंसान को इंसान से पृथक किया जा सकता है या जो सामाजिक भेद भाव के प्रतिक हों जैसे धर्म, जाति, रंग, शिक्षा का स्तर, आर्थिक स्तर या इस जैसे और जितने भी, ये सभी चाहत के कारण हमारे दिल, दिमाग और सोच के दायरे से कोसों दूर प्रतीत हो जाते हैं।
चाहत कि कल्पना मात्र से ही चेहरे पर बड़ी प्यारी मुस्कान पसर जाती है। और तो और चाहत के मधुर भाव से अंतर मन प्रफुल्लित हो उठता है। यहां तक की गौर से देखा जाए तो इस एहसास की कोई अवधि भी नहीं होती। हैरान मत होईए! ज़रा अपने जीवन की किताब के पन्ने फरोल कर देखिए आपको भी अपनी खूबसूरत चाहत के बेहतरीन एहसास के कई अनुभव हवा के झोंके की तरह छु कर निकाल जाएंगे और मन के परिंदे उड़ान भरने लगेंगे।
मुस्कुराए मत, मुझे यकीन हैं यह अनुभव हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। खैर….
यह उन दिनों की बात है, जब लोग रेलगाड़ी के स्लीपर कोच में सफर करते हुए भी जिंदगी भर के लिए बहुत सी यादें एकत्रित कर लिया करते थे। उन्हीं यादों के कुछ तार फिर अतीत को वर्तमान से जोड़कर सारी उम्र असीम आनंद का अनुभव देते नज़र आते हैं।
आंध्रा प्रदेश के सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर नीलम अपने माता पिता और छोटे भाई अनुज के साथ हावड़ा, पश्चिम बंगाल की ओर जाने वाली गाड़ी का इंतजार कर रहे हैं। तिरुपति बाला जी के दर्शन के बाद अब कोलकाता भ्रमण की ओर अग्रसर चौहान परिवार अपनी यात्रा का भरपूर आनंद उठाते नज़र आते हैं। क्योंकि नीलम के पिता एक सरकारी बैंक में शाखा प्रबंधक के रूप में काम करते हैं, इसलिए हर चार साल में एक बार उन्हें जो परिवार के साथ भारत भ्रमण के लिए एल.टी.सी मिलता है न, उसी के चलते वे 20 दिन के बड़े ही योजना बद्ध कार्यक्रम के साथ दक्षिण भारत के कुछ स्थानों से यादें बटोरते अब अपनी यात्रा के आखरी पड़ाव कोलकाता की ओर बढ़े जा रहे हैं। यहां से अब हावड़ा तक का करीब 38 घंटों का सफर शुरू होने वाला है।
ये जीवन भी कुछ ऐसे ही एक सफर की तरह होता है न, हम सभी को यह सफर अपनी निर्धारित अवधि में पूरा भी करना है। फिर जीवन वाले इस सफर में हमें जो हम-सफ़र मिलते हैं चाहे दोस्तों के रूप में, या रिश्तों की तरह, हम अक्सर अपने इन्हीं संबंधों से संतुष्ट नहीं रहते और उम्मीदों की दलदल में अपने सुकून को फसाए छटपटाते से रहते हैं। यही कारण है कि हमारे जीवन का यह सफर बहुत कठिन प्रतीत होता है।
नीलम द्वितीय वर्ष वाणिज्य की छात्रा है और साहित्य पढ़ने का बहुत शौक रखती है इसलिए, रेलवे प्लेटफॉर्म कि एक किताबों कि दुकान देखते ही कुछ नए साहित्य पढ़ने की जागरूकता लिए वह दुकान से कुछ किताबें पसंद करने लगती है। ट्रेन के सफर से पहले अगर एक आधा किताब ना ख़रीदी जाए तो सफर में भला क्या मज़ा आएगा ? किताब पसंद करते हुए अचानक नीलम का हाथ पास खड़े एक सफेद टी शर्ट और मिल्टरी हरी रंग की कार्गो पैंट्स पहने, कंधे पर लैपटॉप का बैग लटकाए लंबे कद और गहरे वर्ण के लड़के के हाथ से टकराता है और स्वाभाविकतः दोनों ही एक दूसरे की ओर देख कर माफ़ी मांगने का इशारा कहते हुए अपने हाथ पीछे कर लेते हैं।
स्टेशन पर हो रहे हल्ले गुल्ले और हॉकर्स की कभी ना भूला पाने वाली आवाज़ों के बीच नीलम और उसका परिवार अपने आने वाले दिनों में मिलने वाले आनंद की परिकल्पना कर चर्चा करते हुए आपस में अठखेलियां करते हैं। बातों ही बातों में नीलम देखती है कि वही किताबों की दुकान वाला लड़का कुछ दूर बिछी लोहे की कुर्सियों पर बैठा, हाथ में कोई पुस्तक पड़ते एक टक उसे ही निहार रहा है। नीलम भी एक आध दफा उसकी और देख कर अन-देखा करती है पर अगली बार नज़र मिलते ही वह मुस्कुरा कर नीलम का अभिनंदन करता है। अब तो नीलम भी चोरी चोरी उसे देखती रहती है और दोनों, न जाने कैसे पर आंखों ही आंखों में एक दूसरे की संगत पसंद करने लगते हैं। यहां तक कि कुछ खाने को खरीदते तो एक दूसरे को इशारों में पूछते, तो कभी अपनी अपनी किताब के प्रथम पृष्ठ की छवि दिखा कर किताब के बारे में इशारों में ही कुछ बताते। कभी नीलम अपनी कलाई पर बंधी घड़ी पर टाइम देख कर गाड़ी का इंतजार प्रस्तुत करती, तो कभी वह लड़का पंखे की ओर देखकर गर्मी का एहसास दिखता। देखते ही देखते दोनों में मानो एक सामंजस्य सा स्थापित हो गया था।
उत्तर से दक्षिण भारत की ओर जाने पर भाषा और लोगों के वर्ण में इतना अंतर आ जाता है कि मानो किसी और ही दुनिया में आ गए हों। दक्षिण भारतीय लोग अपनी मातृभाषा को इतना महत्व देते हैं की अधिकांश लोगों को हमारी राष्ट्र-भाषा हिंदी का अल्प ज्ञान भी नहीं होता। कुछ पढ़े-लिखे लोगों में अंग्रेजी का ज्ञान होने के कारण सामान्य संचार करना संभव हो पाता है परंतु फिर भी उत्तर भारत के लोगों के लिए यह आश्चर्य से कम नहीं है कि हिंदी जैसी सबसे सामान्य भाषा दक्षिण भारत के लोगों के बीच बिल्कुल प्रचलित नहीं है।
नीलम और उसका भाई, आसपास बैठे लोगों के आपसी संवाद सुनकर समझने की कोशिश करते हैं और हर बार कुछ भी ना समझ पाने पर एक दूसरे की ओर देख कर हंस पड़ते हैं। जब ये लोगों की भाषा में से कुछ भी समझ पाने में असमर्थ हो जाते हैं तो अपने आनंद को और बढ़ाने के लिए उनकी आंखों और चेहरे के हाव-भाव से बात का अंदाजा लगा कर खुद ही अपना संवाद तैयार कर अठखेलियां करते हैं।
खैर! इसी बीच गाड़ी की सीटी सुनाई पड़ती है और सारा परिवार अपने डब्बे की ओर बढ़ने लगता है। नीलम उस लड़के को गाड़ी में चढ़ने से पहले अलविदा का इशारा करती है और वह भी मुस्कुरा कर नीलम को हाथ हिला कर बाए कर देता है।
कमाल की बात है ना, चाहत के इस रिश्ते में, ना मिलने की अपार खुशी थी और ना बिछड़ने की असीम पीड़ा। यानी यदि मन में भाव हों तो अनजान से अनजान व्यक्ति भी कुछ ही देर के लिए ही सही कुछ ही देर में अपना बहुत अज़ीज़ बन सकता है। निस्वार्थ भाव से, केवल चाहत के सहारे,…
यूँही मुस्कुराते हुए यदि जीवन के सफर को भी तय किया जाए, तो शायद कभी कोई तकलीफ़ महसूस ही न हो।
नीलम और उसका परिवार अब अपनी आरक्षित सीटों पर सेट हो गए थे। जब सारा समान सीटों के नीचे रख दिया गया, तब नीलम और उसके भाई अनुज के बीच अपनी अपनी सीटों को लेकर तनातनी शुरू हो गई और नीलम सबसे ऊपर की बर्थ पर अपना हक जताने में कामयाब हो गई।
रेलगाड़ी के सफर में भी न अलग ही आनंद होता है। छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकती रुकाती हुई जब गाड़ी अपनी मंज़िल की ओर आगे बढ़ती है, तो दिल में अनेक प्रकार की छाप छोड़ती जाती है। वैसे तो आज के आधुनिक युग में तकनीकी विकास के चलते लोग बड़ी राशि देकर कुछ ही घंटों में एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं, पर सफर के दौरान की कोई ख़ास मीठी याद या पहचान उनके जीवन का हिस्सा नहीं बन पाती।
अभी दोपहर के 1 बजे थे, और दोपहर कर भोजन करने के बाद नीलम ऊपर की बर्थ पर जाकर लेट गई थी। छोटा भाई अनुज भी बीच की बर्थ पर पेट के बल लेटे, लोगों के गुजरने वाली गली की ओर मुंह किए, आते जाते हॉकर कि नकल उतार कर अपना और अपने परिवार का मनोरंजन करने लगता है।
हॉकार : चाय बोलो चाय….
अनुज : चाssssयsss…..
हॉकार : हां साहब कितना देने का….
अनुज : नहीं भाई मुझे नहीं चाहिए, वो तो आपने कहा चाय बोलो, तो मैंने बोल दिया, चाssssयsss
ऐसा सुनते ही कूपे में उपस्थित सभी लोग ठहाके लगाकर हँसने लगते हैं, और तो और चाय वाले भाई को भी बच्चे की मीठी सी शरारत पर हंसी आ जाती है। अनुज की मां अनुज को सख्त स्वर में चाय वाले भाई से क्षमा मांगने को कहती हैं और दोबारा ऐसा ना हो ऐसी हिदायत भी देती हैं। अनुज भी मां की बात मानते हुए चाय वाले भाई से माफ़ी मांगता है और वे भी झट से अनुज के बालों में हाथ फेरते हुए ‘नौ प्राब्लम’ कह कर आगे चल देते हैं।
अब सभी यात्री अपनी अपनी बर्थ पर आराम कर रहे थे, तेज गति में लगातार चलती गाड़ी की कानों में पड़ती एक सी ध्वनि और खिड़की से आती ठंडी हवा के झोंकों से सभी मीठी नींद का अनुभव ले रहे थे। नीलम भी सबसे ऊपर की बर्थ पर गहरी नींद का अनुभव ले रही थी। कुछ समय बाद करवट बदलते हुए नीलम ने बर्थ के ऊपर लगी जाली में अपनी उंगलियों को फंसाया तो अचानक एक स्पर्श के साथ छोटी सी कागज़ की पर्ची अपनी उँगलियों में अटकी पाई। नीलम चौंक कर उठ बैठी और झटपट पर्ची खोली जिसमें अंग्रेजी में लिखा था “कैन वी टॉक?” नीलम की धड़कन बहुत तेज़ चलने लगी थी, तभी उसने पहले अपने माता पिता और भाई की ओर देखा, वे सभी सो रहे थे, फिर उसने धीरे से जाली के पार देखना चाहा तो क्या देखती है कि वही प्लेटफॉर्म वाला लड़का उस पार बैठा है। उसने फिर नीलम की और एक पर्ची बढ़ाई जिसमें फिर अंग्रेज़ी में लिखा था “माई नेम इज जॉन.”। अब नीलम के चेहरे पर अनायास ही मुस्कुराहट आ गई और उसने जॉन की ओर कुछ इस तरह मुंह बना कर देखा की मानो कह रही हो कि मेरे पास जवाब देने के लिए पेन और कागज़ नहीं है। जॉन हँसने लगा और जॉन को देख नीलम को भी हंसी आ गई। जॉन ने जाली में से नीलम की ओर पेन बढ़ाते हुए इशारा किया की अपनी हथेली पर लिखो मेरे पास भी कागज़ नहीं है। नीलम ने तुरंत पेन लेकर अपनी हथेली पर अंग्रेजी में अपना नाम लिखा और जॉन की ओर हाथ घुमा कर दिखाया। बस इसके बाद दोनों सारे रास्ते ऐसे ही लिख लिख कर या इशारों में वार्तालाप करते रहे। कभी जॉन अपने बारे में कुछ बताता तो कभी नीलम कोई बात लिखती। जॉन ने नीलम को बताया कि वह आंध्रा प्रदेश का रहने वाला है और तेलगु एवं अंग्रेज़ी भाषा ही समझता है। इसके अलावा उसने यह भी बताया कि वह भारतीय वायु सेना में कार्यरत है और हावड़ा अपने काम के सिलसिले से ही जा रहा है।
अजब सी बात है ना उत्तर भारत की नीलम, जो हिंदी में दक्ष है और दक्षिण भारत का जॉन, जिसे हिंदी बिल्कुल नहीं आती, पर फिर भी बिना किसी शिकायत के एक दूसरे के साथ बड़ी खूबसूरती से वार्तालाप किए जा रहे हैं। और कुछ इस तरह अपनी बातों में गुम हैं कि उन्हें आसपास की दुनिया की भी कोई खबर नहीं है। ऐसा हमारे सामान्य जीवन में क्यों नहीं होता? हम लोगों से उन चीज़ों की उम्मीद लगा कर विचलित होते रहते हैं जिसे पूरा कर पाना उनके लिए संभव ही नहीं होता। हम क्यों नहीं सोचते कि हर व्यक्ति विशेष की अपनी कुछ सीमाएं होती हैं ज्ञान की, संयम और धैर्य की, भाषा की, पालन पोषण एवं वंश की और यहां तक की अनुवांशिक सीमाएं भी होती हैं। ऐसे में हम खुद को संतुष्ट रखने के लिए सामने वाले की सीमाओं से बढ़कर उससे उम्मीद लगा बैठते हैं और यही कारण है कि आहिस्ता आहिस्ता हमारे व्यवहार में कड़वाहट और अनमनापन आने लगता है।
जॉन और नीलम एक दूसरे से सिर्फ मुस्कुराहट बांट रहे थे कोई उम्मीद नहीं कोई शिकायत नहीं और तो और किसी तरह का कोई पहचान बोध भी नहीं दोनों ही नहीं जानते थे कि उनकी मंज़िल क्या है केवल इतना पता था कि जितनी देर पास हैं एक दूसरे के साथ मुस्कुरा कर अपना सफर तय करें।
जीवन के सफर में हम अपनी चाहत को अनेक तरह के बंधन में बांध लेते हैं। बहुत सी ख्वाहिशें कर बैठते हैं और उन ख्वाहिशों के पूरा न होने पर झुंझला उठते हैं। चाहत जितनी खूबसूरत होती है उम्मीद उतनी ही ज्यादा कष्टदायक होती है। क्या हम एक दूसरे से निस्वार्थ, निष्काम, रिश्ता नहीं रख सकते? क्यों हम अपने सबसे क़रीबी लोगों के साथ ही सबसे बुरा व्यवहार करते हैं हम क्यों नहीं यह सोचते कि हमें अपने हमसफर के साथ इस सफर के अंत तक मुस्कुराकर चलने का प्रयास करना चाहिए? क्योंकि 1 दिन हम सभी को दुनिया की भीड़ से गुम हो जाना है और फिर शायद पीछे खड़ा व्यक्ति हमें कभी ढूंढ भी ना पाएगा। पीछे अगर कुछ रह जाएगा तो वह खूबसूरत यादें जो हमने एक दूसरे के साथ एकत्रित की हैं।
इसी तरह हंसते बोलते सिकंदराबाद से हावड़ा तक की इतनी लंबी यात्रा अब समाप्त होने को थी। जॉन और नीलम को कोई थकन, कोई परेशानी महसूस नहीं हो रह थी। देखते ही देखते हावड़ा स्टेशन आ गया और सामान समेटते, भीड़ में से सम्भलते संभालते नीलम और उसका परिवार और…
जॉन रेलगाड़ी से हावड़ा स्टेशन पर उतर गए और एक आखरी आनन फानन वाली अलविदा के बाद जॉन दुनिया की भीड़ में गुम हो गया। जब तक नीलम के पिता कुली से भाव कर रहे थे नीलम बहुत दूर तक पैनी निगाहों से जॉन को ढूंढनी रही पर वह फिर नज़र नहीं आया।
Note: इस कहानी में story teller द्वारा दिये गए सभी 6 genre सम्मलित किये गए हैं। यदि आपको यह कहानी पसंद आई हो तो आपकोे ये भी पसंद आयेगी।
क्या कहूँ? आपने इस कहानी के माध्यम से ज़िंदगी के कई ज़रूरी पहलुओं का ज़िक्र बड़ी ही ख़ूबसूरती से किया है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है। हम अगर चाहें तो दो भिन्न भाषा बोलने वाले व्यक्तियों में भी सामवाद सम्भव है। आपकी कहानी भी कुछ ऐसा ही बताती है। कई बार सफ़र में हमें ऐसे अनुभव आते हैं जो हमारे सफ़र को यादगार बना देते हैं। रेलगाड़ी के सफ़र की यादें ताज़ा हो गई। सच कहूँ तो मुझे ये कहानी अपने हिंदी Podcast पर पढ़ने की इच्छा हो रही है।
बहुत शुक्रिया अल्पना जी, मैं आपकी आभारी हूँ कि आपने इस कहानी को न केवल पढ़ा बल्कि महसूस भी किया है। मुझे बेहद खुशी होगी यदि मेरे शब्दों को आपकी आवाज़ मिलेगी। रमन 😊
रमनदीप आपने एक बहुत ही सुन्दर कहानी रची है, जो जीवन की सच्चाई बयान करती है। यदि हम सचमें बिना लोगों से उम्मीद किये , निर्मल आनंद के साथ निस्वार्थ रिश्ते बनाएंगे तो वो मजबूत और जानदार बनेंगें। ये जो छोटी सी प्रेमकहानी थी, अधूरी हो कर भी पूरी थी और भावभीनी भी। ज़िन्दगी एक हसीं मंज़र है और प्यार इसे भव्य भाव्या बना देती है , दिलचस्प अंदाज़ में सजा देती है। इस सुन्दर रचना को लिखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Daisy, मेरी प्यारी blogbuddy आपके शब्दों ने मुझे भावविभोर कर दिया है। मुझे भेहद ख़ुशी है कि आपको मेरा लेखन पसंद आया।
बहुत बहुत धन्यवाद 😊🙏🏻🌸
आपकी कहानी बहुत सुन्दर रचना है 🙏 आपने पुरानी यादें ताज़ा कर दी ।सफ़र का आग़ाज़ के होता था ।पढ़ने पर सारी चीज़ें नज़रों में सजीव हो कर मैं उसे अहसास कर पा रही थी ।यही तो कहानीकार की ख़ासियत होती है अपने कैरेक्टर में जान डाल दें ।
मुझे बहुत खुशी है कि आपने मेरी कहानी के साथ उन पलों को पुन: जिया जो हम 90s के दौर के लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। आपके प्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए आभार 🙏🏻😊🌸
I feel a shortage of words to express my happiness reading one of the best outstanding pieces of fiction here. And when it comes to Hindi, the contented feeling takes over everything. Beautiful soft loving storyline. I am sure we all have been lived the plot at least once in our lives, if not on a train then maybe during the bus travel if this too not then on airport for sure! You have reminisced the days of sleeper class full of a fun journey with our loving parents and siblings.
Thank you so much for your appreciation and moreover feeling the exact essence of the story. Thanks a lot. Raman😊
बहुत बढ़िया ढंग से प्रेम का ज़िन्दगी में महत्व दर्शाया आपने। अपनी मातृ भाषा में कहानी पढ़ने का मज़ा ही कुछ और है, भले ही दुनिया भर की भाषाओं का ज्ञान हो जाए!
बहुत बहुत आभार अदिति जी 🙏🏻😊🌸
A journey has many stories enveloped in it and during the transit, there are so many uncalled situations and people we come across. Every incident has a lesson to teach and we enjoy these simple pleasures of life.
I’m glad that you have enjoyed reading my words. 🙏🏻😊🌸
A very beautiful way of narrating your story. The way you connect it with life in between the narration makes it so relatable. And the sweet happy and positive vibe is felt throughout the story. An awesome piece of work. Loved it all the way.
Deepika Sharma
Tons of gratitude Deepika ji🙏🏻😊🌸
Well built up narration comprising all human emotions. Through this short story you have successfully conveyed a beautiful and insightful message of love, Harmony and humanity. Life is similar to travel journeys where we meet, engage, spend and create cherishing moments and end up with parting. If we keep this reality of life in our minds, we won’t be in any chaos or trouble but living a happy and content life. Life is short and unpredictable, let’s practice letting go, forgiveness and lead a peaceful life. A thoughtful, and gripping story.
You are just a darling my dear Sonia, I’m overwhelmed with your comment that you have not only enjoyed reading but observed the essence of the story as well. Thanks a lot❤🙏
Ramanji reading you for the first time.
Running out of words to describe my feeling after reading this story.
I write poems in hindi but fiction is something I have never tried, you have inspired me to try it.
Thank you for writing this wonderful train journey.
Thanks a for appreciation Romila ji🙏🏻😊🌸
So beautiful. I had something in Hindi after a long time and loved it totally. here in USA, I rarely get a chance to listen that kind of beautiful conversation in Hindi. your story was so beautoful and I and I had felt that I had seen a wonderful romantic hindi movie ( please write part 2 of it..would love to know did Neelam and John met again…?}
I’m glad surbhi ji, your words are not less than an inspiration. Thanks a lot❤🙏
Having been born and brought up in Dakshin Bharat let me not try my Hindi writing skills here! Beautiful story… Made me remember my childhood in the trains… And that beautiful journey. Loved the life quotes and the metaphors too… Very rightly said… Unconditionality is a rare feat in life… Otherwise life would have been a much simpler journey just like the trains 🙂
Heart full of gratitude dear Ira🙏🏻😊🌸
बेहद सुन्दर रचना रमन, एक साथ इतने सारे एहसास और सब एकदम सरल भाव से व्यक्त किए आपने।।एक फ़्लो में।। रेल्वे का सफ़र हम सभी के लिए बहुत सी पुरानी यादों की डिबियाँ खोल देता हैं। इस कहानी के लिए धन्यवाद।
So nicely expressed with your thoughts.
Sweet romantic story that has started on a train journey.
You have described the interesting passengers & incidents pretty well viz “Chai bolo Chai” 🙂
Do you personally head for the (mobile) book-stall before your journey? I do! 🙂
Train journey’s were always fun. I am sure each one would have at least one interesting tale about trains or moments in there. I enjoyed the unsaid between John and neelam.
Muskuranae sae zindagi bi achi beedh jathi hey aur aap ki rail gadhi ka kahani aur abki liknae ka zariya mujhe bahooth pasandh aaya.🙏😊🌼
Very well written story. You have bneautifully woven so many morals and messages into this simple piece.
I got to read a Hindi story after a long time and its really captivating. Your interplay with the words is awesome. Keep it up
The way you have connected your story with life feels so relatable. Such a beautiful narration.
Thanks a lot my dear
What a beautiful story. It took me to the memory lane when I used to travel in train during my college days from Bangalore to Howrah. I had quite a few memories from them. I met many people during that time, few of them are still in my memories and reading your story it brought me smile on my face remembering those. Thanks for sharing this.
Thanks a lot ji…
It was a relatable story and made me nostalgic about the rail travel during childhood. I could find subtle humour added to it and that made an impact. Such encounters happen many a times and then with time we tend to forget them . You revived those memories !! Nice story ☺️
My Pleasure that u like it….
Wow! Just wow! You explained such simple yet difficult to learn life lessons with such a beautiful story. There are a very few stories that connect heart – to -heart and I feel this was one of them. I could feel how you’ve poured your heart here. Simply loved it. Thnsk you for giving us such a beautiful piece.
Heart touching comment
Thanks a lot dear…
आपके द्वारा रची इस कहानी ने ऐसी बहुत सी यादों को फिर से ज़िंदा कर दिया जो कही गुम हो गयी थी। प्लैट्फ़ॉर्म पर खड़ी गाड़ी, स्लीपर क्लास के लम्बे परिवार के साथ किए सफ़र। छोटे छोटे स्टॉल से की चीज़ें, अजनबी लोगों से अजीब सा कुछ समय का हास्य खिलखिलाता रिश्ता। इसी के साथ साथ कुछ ऐसी यादें भी जो दक्षिण भारत का सफ़र करते हुए महसूस की थी। अपने भाषा के अंतर को बड़े ही प्रेम से दर्शाया है।
Bahut Shukriya sakhi…
I am not very comfortable with reading Hindi but I tried my best. I must applaud your flair for infusing emotion in your writing.
That’s so sweet of you.
Thank you very much😊💞
Wow, thats such a joyous read! I could remember the golden period when we travelled in trains and in the long journey we had our shares of joy and experiences with our family and with the outsiders too. Beautifully written story!
Thanks A lot Amritha💕😊
Safar, Safarnama aur dastan-e-zindagi bhale hi ye teen alag shabd hai magar unki lay or taal ek hi jaisi hoti hai.. chahat bahut hi pyaara bhaav hai jisse anginate kahaniyaan buni gayi hai.. Aapki kahani padh k bahut acha laga.
Bahut bahut aabhar😊
Firstly, I feel so happy to read Hindi stories. loved the way you have the perfect choice of words to express this story. Travelling by train always brings some or other memory …you have touched the chord!!
Thanks dear.I’m glad that you like it…
Hindi stories have a unique connection with the readers, you have done a fabulous jon bu weaving this masterpiece. I am mesmerized.
Nicely narrated! Glad to connect with you, through this blog hop.
Thanks Mayura💕
क्या कहूँ इस कहानी के बारे में? मेरे पापा को भी LTC मिलता था और मैं, मेरे पापा, मेरी मम्मी और मेरा छोटा भाई भी यूँ ही मस्ती करते थे। कई यादें तरो ताज़ा हो गयीं इस कहानी से।
I am glad you enjoyed reading….Thank you